Thursday, 13 October 2016

साप्ताहिक अन्तरदृष्टि # ३ 




 बगलामुखी साधना :


सभी ग्रह-अरिष्टों  की शांति , शत्रुनाश एवं विपत्तिनाशन हेतु बगलामुखी  मंत्र यंत्र की पूजा की जाती है। इस मंत्र एवं यंत्र का प्रचार प्रसार विस्तृत रूप से किया जा रहा है। परंतु इस मंत्र एवं यंत्र का जप-तप विधि के ज्ञान के बिना सिद्ध नहीं होता है। 

महाभाष्यकार ने लिखा है कि  - एकः शब्द: वर्णतो वा , मिथ्या  प्रयुक्तो न तमर्थमाह। 

स वाग्वज्रो यजमानं हिनस्ति यथेन्द्र शत्रु: स्वरातोपराधत ।

 अर्थात : एक भी अशुद्ध  शब्द चाहे स्वर हो या व्यंजन , व्यर्थ में प्रयोग किया गया या बिना अर्थ जाने कोई भी वाणी रुपी वज्र  , यजमान का वैसे ही अनिष्ट करता है जैसे इंद्र ने वृत्र-असुर को मारा था। इसलिये जप तप होम विधि जाने बिना बगलामुखी यंत्र की पूजा एवं मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।यदि  साधक  बगलामुखी माता की उपासना विधि पूर्वक करते है परन्तु  बगलामुखी कवच का पाठ   नहीं करते , ऐसे में साधक की मृत्यु शास्त्राघात से होने की सम्भावना रहती है। अपने स्वार्थवश  किसी  निर्दोष के लिए इस मंत्र का जप करने से साधक अपने ही अनिष्ट का न्योता देते है। ये जप तप का उल्टा असर साधक के ऊपर या उसके परिवार पर होता है। 


बगलामुखी माता की पूजा विधि मंत्र एवं कवच :


बगलामुखी माता की उपासना पीले रंग के वस्त्र पहनकर, पीले  फूल, पीला सिंदूर, पीला अक्षत एवं पीले फल प्रसाद  से करे। मंत्र का जप हल्दी की माला से किया जाना चाहिए। स्फटिक एवं रुद्राक्ष की माला से भी किया जा सकता है। मंत्रजाप की संख्या प्रतिदिन एकसमान ही रखनी चाहिए।  हल्दी की माला से जप करने से शत्रुनाश होता है , स्फटिक की माला से ऋण - मुक्ति होती है एवं रुद्राक्ष माला से शुभ कार्य होता है। 

 बगलामुखी मंत्र :

ॐ ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां  , वाचं मुखं स्तम्भय  जिह्वां कीलय कीलय , बुद्धिं  नाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।।


 बगलामुखी कवच :

ॐ ह्रीं मे हृदयं पातु श्रीबगलामुखि। ललाटे सततं पातु दुष्टनिग्रहकारिणी।।
रसनां पातु कौमारी भैरवीचक्षुषो मम  ।  कटौ पृष्ठे महेशानी कर्णों शंकरभामिनी।। 

वर्जितानि    स्थानानि  यानि  च कवचेन हि । तनी  सर्वाणि   मे देवी सततं पातु स्तम्भिनी।।

 अज्ञात्वा कवचं देवी यो भजेत बगलामुखीम  ।  शास्त्रघातमवाप्नोति सत्यं सत्यं न संशयः।। 


श्री कुल की दस महाविधाएँ है जिसमे बगलामुखी माता आठवें स्थान पर है। ये सभी महाविद्यायँ स्वयं सिद्ध हैं। ये देवियाँ कलियुग में साधको को समस्त वांछित फल प्रदान करती हैं। १. काली  २. तारा ३ षोडशी ४. भुवनेश्वरी ५. भैरवी ६ छिन्नमस्तिका ७. धूमावती८.बगलामुखी ९.मातङ्गी  १०.कमलात्मिका 
 माँ बगलामुखी माता  के  प्रसिद्ध मंदिर  मध्यप्रदेश के दतिया जिले में एवं नलखेड़ा में स्थित है। यहाँ विराजित माँ की मूर्ति महाभारत काल में पांडवों द्वारा स्थापित की गई थी।  विजय प्राप्ति ,शत्रुनाश ,ऋण से मुक्ति हेतु ,असाध्य रोग से मुक्ति हेतु ,कोर्ट केश में अनुकूल फैसला हेतु एवं सभी प्रकार के अरिष्टों से निवारण के लिये यहा विधिपूर्वक हवन करायी जाती है। astromeenakshi108@gmail.com8989083666meenakshi prabha----------=-----------------


5 comments:

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