Sunday 5 February 2017

Astro remedies by meenakshi shrivastava

Anterdrishti #6#
गोमती चक्र(Gomati Chakra) के माध्यम से जीवन में आने वाली अनेक समस्यायों का समाधान किया जाता है


क्या है गोमती चक्र | What is Gomati Chakra

गोमती चक्र Gomati चक्र जल में होने वाले रासायनिक तत्त्वों के मिश्रण से निर्मित प्राकृतिक पदार्थ है जो दिखने में सीपी जैसा होता है इसके ऊपर चक्र बना होता है। गोमती चक्र समुद्र में तथा गोमती नदी में मिलता है। गोमती में “गो” शब्द गाय का वाचक है और गाय का सम्बन्ध लक्ष्मी से है यह सर्वविदित है।  पत्थर के ऊपर जो चक्र बना हु भगवान् कृष्ण के सुदर्न चक्र से भी है जिस प्रकार सुदर्शन चक्र ( Sudarshan Chakra ) सभी परेशानियों का अंत है उसी प्रकार गोमती चक्र में सभी समस्याओं का अंत है ऐसा माना जाता है।

समुद्र के निचले सतह-पेंदे और गो रूप धारिणी माता पृथ्वी के ऊपरी सतह के मध्य रत्न-धातु आदि “गो मृत्तिका” या “गो मिटटी” या गोमती चक्र(Gomati Chakra) के नाम से जाने गये-रहस्य विज्ञान के प्रवर्तक वरुण देव(जल)के घर्षणमय रासायनिक संयोग के कारण इस पदार्थ के अंदर अद्भुत शक्तियों का समावेश हो गया साथ ही ‘गोमाता’ अर्थात लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से इसमें धन धान्य वृद्धि करने की क्षमता का समावेश हो गया और यही कारण है की आज गोमती चक्र का प्रयोग धरले से समस्या निदान के रूप में होने लगा है  तंत्र शास्त्र के ज्ञाता इस पर अनेक विधि पूजन कर इसे प्राणप्रतिष्ठा से विशेष सिद्धि दायक बना देते है ।

अनेक समस्याओं में गोमती चक्र का उपयोग किया जाता है यथा —

भुत-प्रेत से बाधा
शत्रुपीड़ा से मुक्ति
रोग से मुक्ति,
भय से मुक्ति
दरिद्रता से मुक्ति,
अदालती मामलो मे राहत,
संतान प्राप्ति में सहायक
धन वृद्धि तथा संचय में सहायक
मानसिक शांति
 When do worship of Gomati Chakra | गोमती चक्र की पूजा कब करे

गोमती चक्र एक ऐसा पदार्थ है जो हमारे उद्देश्य को पूर्ति करने में अत्यंत ही सहायक है। प्रमुख त्योहारो पर जब हम सम्बंधित देवता की पूजा करते है तो उस पूजा मे इस चक्र को सम्मलित करते है तथा इसकी विशेष रूप से पूजा भी करते है ताकि घर में धन धान्य तथा शांति का वातावरण कायम रहे।

इस चक्र का प्रतिदिन पूजा तो हम करते ही है परन्तु विशेष त्यौहार खासकर दीवाली, नवरात्र में इसकी पूजा करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ग्रहण के दौरान या अमावस्या के दिन पूजा करने से गोमती चक्र को जीवंत वा सिद्ध किया जाता है।

इस चक्र की पूजा विभिन्न मुहूर्तों के अवसर पर करने पर भी हमें लाभ की प्राप्ति होती है। जैसे-

सर्वार्थसिद्धि योग
गुरुपुष्य योग
रविपुष्य योग
त्रिपुष्कर योग इत्यादि
योग के अवसर पर गोमती चक्र की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वास होता है। घर के पारिवारिक सदस्यो के मध्य सामंजस्य बना रहता है तथा घर में लगातार बरकत होने लगती है। अभिमंत्रित गोमती चक्र का प्रभाव शीघ्र फलदायी होता है।

Gomati Chakra | गोमती चक्र एक फायदे अनेक

Benefit of Gomati Chakra | गोमती चक्र  के प्रयोग से लाभ

गोमती चक्र का प्रयोग कार्य विशेष के अनुसार अर्थात अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतू करने से असीमित लाभ की प्राप्ति होती है। आइये जानते है कब कैसे और किस विधि से इस चक्र का प्रयोग करना चाहिए

व्यापार तथा नौकरी में वृद्धि हेतू | For Business and Job growth

यदि आपके व्यापार में हानि हो रही है तो हानि को रोकने तथा व्यापार वृद्धि के लिए इस चक्र का प्रयोग कर सकते है इसके लिए आप 2 गोमती चक्र लेकर उसे एक लाल कपड़े में बांधकर ऊपर चौखट पर इस तरह से लटका दे की ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चित ही व्यापार में वृद्धि होगी।

11 गोमती चक्रों को लाल पोटली में बाँधकर तिजोरी में अथवा किसी सुरक्षित स्थान पर सख दें, तो व्यापार में आशातीत वृद्धि होने लगती है ।

यदि व्यवसाय में किसी कारण से आपका व्यवसाय लाभदायक स्थिति में नहीं हो तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को 3 गोमती चक्र, 3 कौड़ी व 3 हल्दी की गांठ को अभिमंत्रित कर किसी पीले कपड़े में बांधकर धन-स्थान पर रखें ।
यदि आपका प्रमोशन होना है और किसी कारण से प्रमोशन नहीं हो रहा हो, तो एक गोमती चक्र लेकर प्रत्येक सोमवार को शिव मन्दिर में जाकर शिवलिंग पर चढ़ा दें, और सच्चे मन से प्रार्थना करें । यह कार्य तबतक करे जबतक आपका कार्य पूरा नहीं हो जाता । निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जायेंगे।

रोग से मुक्ति हेतू | Removes from Disease

यदि आपके पेट में कोई रोग है तो 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट से सम्बंधित विभिन्न रोग में राहत मिलती है।

रोग-शमन तथा स्वास्थ्य-प्राप्ति हेतु 7 गोमती चक्र अपने ऊपर से उतार कर किसी ब्राह्मण या फकीर को दें दे।
यदि घर में कोई व्यक्ति बीमार है तथा उसकी बिमारी ठीक नहीं नहीं हो रही हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चाँदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बाँध दें,तो उसी दिन से रोगी का रोग समाप्त होने लगता है ।

यदि आप गर्भपात से परेशान हो रहे है तो 2 गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर कमर में बांध ले तो गर्भपात होना बंद हो जाता है।

नजर दोष वा तांत्रिक प्रभाव से मुक्ति | Protect from Evil eye or Tantrik effects

यदि आप ऐसा महशुस करते है की मेरे ऊपर किसी ने जादू टोना कर रखा है तो उस तांत्रिक प्रभाव की निवृत्ति के लिये बुधवार को चार गोमती चक्र अपने सिर के ऊपर से उबार कर चारों दिशाओं में फेंक दें निश्चित ही आपको लाभ मिलेगा।

यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो, तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर से घुमाकर आग में डाल दे, तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है ।

यदि आपके बच्चे नजर दोष से परेशान है तो गोमती चक्र को चाँदी में जड़वाकर बच्चे के गले में पहना देने से नजर दोष नहीं लगती तथा बच्चा स्वस्थ बना रहता है ।

यदि आपको या आपके बच्चें को नजर जल्दी लगती है तो 5 गोमती चक्र(Gomati Chakra)लेकर किसी सुनसान स्थान पर जायें फिर तीन चक्रों को अपने ऊपर से सात बार उसारकर अपने पीछे फेंक दें तथा पीछे देखे बिना वापस आ जायें । शेष बचे 2 चक्रों को तीव्र प्रवाह के जल मे प्रवाहित कर दें ।निश्चित ही लाभ होगा ।

संतान लाभ हेतु | For Child

यदि संतान प्राप्ति में देरी हो रही हो या आपको ऐसा महशुस हो रहा है की मुझे सन्तान की प्राप्ति नहीं होगी तो उसके लिए 5 गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में “हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुक” 5 बार बोलकर विसर्जित कर देना चाहिए ऐसा करने से संतान प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

यदि आपका बच्चा अधिक डरता है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को हनुमान् जी के मन्दिर में जाकर एक अभिमंत्रित गोमती चक्र पर श्री हनुमानजी के दाएं कंधे के सिन्दूर से तिलक करके प्रभु के चरणों में रख दें और एक बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें । पुनः गोमती चक्र(Gomati Chakra)उठाकर लाल कपड़े में बांधकर बच्चे के गले में पहना दे बच्चे का डर शीघ्र ही चला जाएगा।

Gomati Chakra | गोमती चक्र एक फायदे अनेक

केश मुक़दमा में लाभ | Benefit from litigation

यदि आप आप केश मुकदमा के निपटारा करने के लिए कोर्ट जा रहे है तो जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखे और जाते समय उस पर दाहिना पांव रखकर जाते है तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है।

यदि आपके शत्रु बढ़ गए है तो शत्रु का नाम जितने अक्षर का है उतने गोमती चक्र लेकर उस पर उस शत्रु का नाम लिख दे उसके बाद उसे जमीन में गाड़ दें तो शत्रु परास्त हो जाएंगे।

गोमती चक्र(Gomati Chakra)को होली के दिन थोड़ा सिंदूर लगाकर शत्रु का नाम उच्चारण करते हुए जलती हुई होली में फेंक दें तो आपका शत्रु भी मित्र बन जाएगा ।

आर्थिक लाभ हेतू | Economic Benefits

कई बार ऐसा देखा गया है कि कठिन मेहनत करने के बाद भी लाभ नहीं होता है तो वैसी स्थिति में आर्थिक लाभ के लिए यह कार्य करना चाहिए । शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को 21 अभिमंत्रित गोमती चक्र(Gomati Chakra)लेकर घर के पूजा स्थल में मां लक्ष्मी व श्री विष्णु की तस्वीर के समक्ष पीले रेशमी वस्त्र पर रख दें पुनः रोली से तिलक कर प्रभु से अपने निवास में स्थायी वास तथा आर्थिक समृद्धि के लिए प्रार्थना करे तथा समृद्धि के लिए प्रार्थना करके हल्दी की माला से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”मंत्र की तीन माला जप करें। इस प्रकार 43 दिन तक लगातार जप करने के बाद अन्तिम दिन कुवारी कन्या को भोजन करा दे पुनः सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देकर विदा करें । निश्चित ही आर्थिक समृद्धि आपके घर आएगी।

घर में सुख शांति हेतू | Good environment in house

यदि इस गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में रखकर घर में रखते है तो घर में सुख-शान्ति बनी रहती है ।

पति-पत्नी  ( Husband and wife ) में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में “हलूं बलजाद” कहकर फेंक दें, मतभेद समाप्त हो जायेगा ।

दीपावली के दिन पाँच गोमती चक्र को पूजा-घर में स्थापित करे तत्पश्चात प्रतिदिन उसका पूजन करने से घर में सुख शांति तथा निरन्तर उन्नति होती रहती है।

भाग्योदय | Fortune

यदि आप महशुस कर रहे है की मेरा भाग्य साथ नहीं दे रहा है तो भाग्य वृद्धि के लिए तीन गोमती चक्र का चूर्ण बनाकर घर के बाहर छिड़क दें ।

यदि आपको सरकार की ओर से सम्मान नहीं मिल रहा है तो उसे प्राप्त करने के लिये प्रतिदिन 2 गोमती चक्र 43 दिन तक किसी ब्राह्मण को दान में दें इसकी शुरुआत शुभ मुहूर्त से
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Thursday 20 October 2016

astro remedies for promotion in job by astrologer Meenakshi Shrivastava

                                   साप्ताहिक अंतरदृष्टि #४ #                               

नौकरी एवं व्यवसाय में उन्नति के उपाय (TIPS)

प्रायः यह देखने में आता है कि  कुछ व्यक्ति परिश्र्म करने के बावजूद अपनी नौकरी अथवा व्यवसाय में वांछित सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं  , जिसके परिणामस्वरूप वे अक्सर परेशान तथा  खिन्न रहते  हैं। अतः ऐसे व्यक्तियों की कामनासिद्धि  के लिये कुछ  अनुभूत प्रयोग निम्न हैं------

१. शुक्ल पक्ष के रविवार को प्रारम्भ कर प्रतिदिन सूर्यदेवता को जल में लाल चन्दन व लाल पुष्प डालकर जल चढ़ायें।  


२. हर रविवार को गाय को गेहूँ तथा गुड़ खिलायें।  गेहूँ अथवा गुड़ को जमीन पर नहीं रखें , किसी बर्तन में रखकर स्नेहपूर्वक गाय को खिलायें। 


3 प्रतिदिन प्रातः सूर्यदेवता तांबे के लोटे में जल भरकर उसमे पाँच लाल सूखी मिर्च के दाने (बीज ) डालकर चढ़ायें। यह उपाय पदोन्नति तथा स्थानान्तरण से जुडी बाधाओं को शीघ्र दूर करता है. . 


४. नौकरी या पदोन्नति की इच्छा रखने वालों को हर रोज पक्षियों को मिश्रित अनाज खिलाना चाहिए। सात प्रकार के अन्न एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलायें। इसमें गेहूँ , ज्वार ,मक्का ,बाजरा ,चावल  तथा दालों को शामिल किया जा सकता है. .अनाज के साथ कटौरी में जल अवश्य रखें। .प्रतिदिन इस उपाय को करने से नौकरी से जुड़ी समस्यायें शीघ्र ही दूर ही जाती हैं।  यह उपाय ग्रहदोष तथा वास्तुदोष भी दूर करते हैं। 


५ गरीब व्यक्ति को दान में कम्बल दें। सफाई कर्मचारी एवं अंधे व्यक्ति की सहायता करें। 


६ शुक्लपक्ष के प्रथम मंगलवार को पीपल के ११ पत्तों पर ' श्रीराम ' लिखकर माला बनायें तथा लगातार २१ दिनों तक हनुमानजी को चढ़ायें।  ध्यान रहे कि शुक्रवार को पीपल का पेड़ नहीं छूना चाहिए।


७ शनिवार एवं रविवार को मांस -मदिरा का सेवन नहीं करें। 


८. अपने बॉस या ऐसा व्यक्ति जो आपके खिलाफ चलता हो , उसका नाम शहद की शीशी में डालकर ढक्कन ठीक से बंद कर उसे जमीन में गाड़ दें। 


९ शुक्रवार को बिना जाँचे -परखे एक बंद ताला घर पर ले आयें और अपने घर में उसकी पूजा करें।  शनिवार को स्नान -ध्यान करके वह ताला किसी मन्दिर में रख आएं।  जैसे ही कोई उस ताले  को खोलेगा , आपका भाग्य चमक उठेगा। 


                                 कुछ विशेष  ध्यान योग्य बातें                        

यद्यपि उपरोक्त उपाय सामान्यतया सभी के लिए उपयोगी हैं , किन्तु  व्यक्तिविशेष को ऐसे उपाय करने के अतिरिक्त किसी  अच्छे ज्योतिषी से अपनी कुण्डली पर  विचार अवश्य करा लेना चाहिए, क्योंकि कभी -कभी क्रूर ग्रहों की दृष्टि ,दशा -अंतर्दशा, गोचर ग्रहों  की प्रतिकूल स्थिति  के फलस्वरुप मनोवांछित परिणाम नहीं मिल पाते हैँ। इति शुभम। 
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Thursday 13 October 2016

साप्ताहिक अन्तरदृष्टि # ३ 




 बगलामुखी साधना :


सभी ग्रह-अरिष्टों  की शांति , शत्रुनाश एवं विपत्तिनाशन हेतु बगलामुखी  मंत्र यंत्र की पूजा की जाती है। इस मंत्र एवं यंत्र का प्रचार प्रसार विस्तृत रूप से किया जा रहा है। परंतु इस मंत्र एवं यंत्र का जप-तप विधि के ज्ञान के बिना सिद्ध नहीं होता है। 

महाभाष्यकार ने लिखा है कि  - एकः शब्द: वर्णतो वा , मिथ्या  प्रयुक्तो न तमर्थमाह। 

स वाग्वज्रो यजमानं हिनस्ति यथेन्द्र शत्रु: स्वरातोपराधत ।

 अर्थात : एक भी अशुद्ध  शब्द चाहे स्वर हो या व्यंजन , व्यर्थ में प्रयोग किया गया या बिना अर्थ जाने कोई भी वाणी रुपी वज्र  , यजमान का वैसे ही अनिष्ट करता है जैसे इंद्र ने वृत्र-असुर को मारा था। इसलिये जप तप होम विधि जाने बिना बगलामुखी यंत्र की पूजा एवं मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।यदि  साधक  बगलामुखी माता की उपासना विधि पूर्वक करते है परन्तु  बगलामुखी कवच का पाठ   नहीं करते , ऐसे में साधक की मृत्यु शास्त्राघात से होने की सम्भावना रहती है। अपने स्वार्थवश  किसी  निर्दोष के लिए इस मंत्र का जप करने से साधक अपने ही अनिष्ट का न्योता देते है। ये जप तप का उल्टा असर साधक के ऊपर या उसके परिवार पर होता है। 


बगलामुखी माता की पूजा विधि मंत्र एवं कवच :


बगलामुखी माता की उपासना पीले रंग के वस्त्र पहनकर, पीले  फूल, पीला सिंदूर, पीला अक्षत एवं पीले फल प्रसाद  से करे। मंत्र का जप हल्दी की माला से किया जाना चाहिए। स्फटिक एवं रुद्राक्ष की माला से भी किया जा सकता है। मंत्रजाप की संख्या प्रतिदिन एकसमान ही रखनी चाहिए।  हल्दी की माला से जप करने से शत्रुनाश होता है , स्फटिक की माला से ऋण - मुक्ति होती है एवं रुद्राक्ष माला से शुभ कार्य होता है। 

 बगलामुखी मंत्र :

ॐ ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां  , वाचं मुखं स्तम्भय  जिह्वां कीलय कीलय , बुद्धिं  नाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।।


 बगलामुखी कवच :

ॐ ह्रीं मे हृदयं पातु श्रीबगलामुखि। ललाटे सततं पातु दुष्टनिग्रहकारिणी।।
रसनां पातु कौमारी भैरवीचक्षुषो मम  ।  कटौ पृष्ठे महेशानी कर्णों शंकरभामिनी।। 

वर्जितानि    स्थानानि  यानि  च कवचेन हि । तनी  सर्वाणि   मे देवी सततं पातु स्तम्भिनी।।

 अज्ञात्वा कवचं देवी यो भजेत बगलामुखीम  ।  शास्त्रघातमवाप्नोति सत्यं सत्यं न संशयः।। 


श्री कुल की दस महाविधाएँ है जिसमे बगलामुखी माता आठवें स्थान पर है। ये सभी महाविद्यायँ स्वयं सिद्ध हैं। ये देवियाँ कलियुग में साधको को समस्त वांछित फल प्रदान करती हैं। १. काली  २. तारा ३ षोडशी ४. भुवनेश्वरी ५. भैरवी ६ छिन्नमस्तिका ७. धूमावती८.बगलामुखी ९.मातङ्गी  १०.कमलात्मिका 
 माँ बगलामुखी माता  के  प्रसिद्ध मंदिर  मध्यप्रदेश के दतिया जिले में एवं नलखेड़ा में स्थित है। यहाँ विराजित माँ की मूर्ति महाभारत काल में पांडवों द्वारा स्थापित की गई थी।  विजय प्राप्ति ,शत्रुनाश ,ऋण से मुक्ति हेतु ,असाध्य रोग से मुक्ति हेतु ,कोर्ट केश में अनुकूल फैसला हेतु एवं सभी प्रकार के अरिष्टों से निवारण के लिये यहा विधिपूर्वक हवन करायी जाती है। astromeenakshi108@gmail.com8989083666meenakshi prabha----------=-----------------


Tuesday 4 October 2016

                     साप्ताहिक अन्तरदृष्टि #२ #


विभिन्न मनोकामनाओं तथा उद्देश्यों की सम्पूर्ति हेतु लाभदायक सरल सुगम साधनाएँ  (TIPS) 

विभिन्न  मनोकामनाओं तथा उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु , जीवन में निरंतर उत्पन्न होनेवाले अवरोधों के शमन हेतु , अनेक अभीष्टों की संपूर्ति हेतु तथा मनोभिलषित को शीघ्रातिशीघ प्राप्त करने की कामना हेतु कुछ सामान्य , अतिसुगम एवं सरल   उपाय ;----------


१.  घर के मध्य में तुलसी का पौधा होने से घर में प्रेम के साथ सुख तथा समृद्धि की वृद्धि होती 
                  

२. दक्षिणवर्ती शंख , हत्थाजोड़ी ,एकाक्षी नारियल ,मोती शंख , गोमतीचक्र ,सियारसिंघी ,श्वेतार्क गणपति ,काली हल्दी अथवा सर्प और सर्पिनी की केंचुल , बिल्ली की जार तथा काम्या सिंदूर उपलब्ध हो तो उसे सुरक्षा पूर्वक धन रखने के स्थान पर रखना चाहिए। ये सभी वस्तुयें धन वृद्धि तथा आय की उन्नति हेतु शुभ मानी जाती हैं। 
                          


३. यदि आप पर कभी बड़ा संकट आता है तो आप अपनी आयु के वर्ष के बराबर संख्या में पक्षियों का मूल्य चुकाकर उन्हें स्वतंत्र कर दें।  आपका संकट कहाँ गया ,आपको पता भी नहीं चलेगा। 

४. किसी शुभ समय में यदि किसी पीले वस्त्र में सात - सात की संख्या में हल्दी की साबुत गाँठ ,जनेऊ ,लग्नमण्डप सुपारी , छोटी गुड़ की डल्ली  व इतने ही पीले फूल को धूप -दीप से पूजा कर अपने पूजास्थल अथवा धन रखने के स्थान में रखा जाये तो आर्थिक समस्या नहीं आती है। 

५. यदि आपके उच्चाधिकारी आपसे रुष्ट रहते हैं तो आप सदैव रक्तगुंजा की जड़ अपनी जेब में रखें। इसके प्रभाव से वे आपसे सम्मोहित रहेंगे। 

६.यदि आप कोई ऐसा कार्य करते हैं , जिसमें आपके विरोधी सक्रिय हों , तो आप  प्रथम मंगलवार को यह उपाय आरम्भ करें। इसमें ११ पत्ते पीपल के लेकर उनपर लालचन्दन से श्रीराम लिखकर प्रभु को अर्पित करें। आपके विरोधी कभी आपका अहित नहीं कर सकते हैं। यह उपाय आप धनवृद्धि तथा रोगमुक्ति के लिये भी कर सकते हैं.
 . 
७. उन्नति के लिये आप प्रथम गुरूवार को ( यदि आप सरकारी नौकरी हैं तो बैठने के स्थान पर  और यदि आप व्यवसाय करते हैं तो व्यवसाय स्थल पर ) कच्चे सूत को केसर से रंग कर बाँध दें।  फिर चमत्कार देखिये। 

८.घर के अन्दर १२ अँगुल की पलाश की लकड़ी को यदि अभिमंत्रित कर घर में गाड़ दिया जाये ,तो घर में किसी प्रकार की अशुभ शक्ति का प्रवेश नहीं होता है।
९.पीपल के एक पत्ता पर २१ बार गायत्री मंत्र चन्दन से लिखकर पूजास्थल में रखकर पूजा करें फिर अपने धन रखने के स्थान पर रखने से व्यापार एवं नौकरी में बढ़ोतरी होगी। 

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Tuesday 27 September 2016

 साप्ताहिक अंतर्दृष्टि #1 





तीक्ष्ण स्मरण शक्ति , निर्विघ्न शिक्षाप्राप्ति एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्ति के उपाय।

 कभी-कभी ऐसा होता है कठिन परिश्रम एवं लगन के साथ अध्ययन करने के बावजूद वैसा परिणाम नहीं निकलता जिसकी अपेक्षा व्यक्ति को होती है। व्यक्ति अत्यंत तुच्छ कारणों से पीछे रह जाते है , या उनकेमार्ग  में सदा  ही विघ्न-बाधाएं आती रहती हैं या उन्हें  वैसे विषय की शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है, जिसकी उन्हें इच्छा न हो।

अगर ऐसा ही कुछ आपके साथ हो रहा हो तो आप सचेत हो जाएं , क्योंकि इन परिस्थितियों  का कारण आपकी कुंडली में होने वाले अशुभ योग, दोष, क्रूर या दुष्ट ग्रहों की दशा-अंतर्दशा, गोचर के क्रूर ग्रहों के प्रभाव हो सकते है। लगन कुंडली के पंचम भाव में स्थित क्रूर ग्रह जैसे मंगल, शनि एवं राहु केतु की भाव में स्थिति या दृष्टि ! काल सर्प योग ,विष योग ,ग्रहण योग इत्यादि योग प्रारब्ध यानि पूर्वजन्म में किये हुए कर्मों  के कारण  होते है! 
वैदिक मंत्रो द्वारा निर्विघ्न शिक्षा प्राप्ति एवं प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के उपाय -
वैदिक मन्त्रों का हमारे जीवन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ता है। सुधीजनों के निमित्त यहाँ  कुछ मन्त्रों का प्राकट्य विषयानुकूल होगा।  कुछ वैदिक मंत्र निम्न हैं-

 १. ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा !
जिन व्यक्तियों की स्मरण शक्ति क्षीण है, उनको इस मंत्र का ८ लाख जाप करने से स्मरण -शक्ति प्रखर हो जाएगी

२। परीक्षा में उतीर्ण होने हेतु ----
-ॐ नमः श्रीं श्रीं अहम् वाग्वादिनी भगवती सरस्वत्यै नमः स्वाहा विद्याम देहि मम ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा !
अमावस्या के तीसरे दिन  अथवा चंद्रग्रहण के समय इस मंत्र का जप एक लाख बार करें !उसके पश्चात्  किसी प्रतियोगिता परीक्षा में सम्मिलित हो, तो सफलता  अवश्य मिलेगी !

.इत्युक्ता सा तदा देवी गम्भीरान्तः स्मिता जगौ !
दुर्गा भगवती भद्रा ययेदं धार्यते जगत !!
इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जप कर  माता सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। शिक्षा में सफलता मिलेगी !



४. तीक्ष्ण बुद्धी एवं बिना बाधा के शिक्षा प्राप्ति एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हेतू  गणपति जी की विधिपूर्वक पूजा कर गणपति अथर्वशीर्षम का नियमित पाठ करें। 

 ५, ज्ञानानन्दमयं देवं निर्मलस्फटिकाकृतिम। 
आधारं सर्व विद्यानाम हयग्रीवं उपास्महे।।

ॐ श्री हयग्रीवाय नमः 

इस मंत्र का जाप १०८ बार नियमित रूप से करने से प्रतियोगिता में सफलता निश्चित है। 


यद्यपि इन उपायों से आपको सफलता अवश्य मिलेगी परन्तु अगर आप अपने कुंडली दोषों से निवारण पाना चाहते हैं , किसी कुशल ज्योतिषी से अपनी कुंडली अवश्य निरीक्षण करवायें। 
- मीनाक्षी प्रभा
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