Thursday, 20 October 2016

astro remedies for promotion in job by astrologer Meenakshi Shrivastava

                                   साप्ताहिक अंतरदृष्टि #४ #                               

नौकरी एवं व्यवसाय में उन्नति के उपाय (TIPS)

प्रायः यह देखने में आता है कि  कुछ व्यक्ति परिश्र्म करने के बावजूद अपनी नौकरी अथवा व्यवसाय में वांछित सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं  , जिसके परिणामस्वरूप वे अक्सर परेशान तथा  खिन्न रहते  हैं। अतः ऐसे व्यक्तियों की कामनासिद्धि  के लिये कुछ  अनुभूत प्रयोग निम्न हैं------

१. शुक्ल पक्ष के रविवार को प्रारम्भ कर प्रतिदिन सूर्यदेवता को जल में लाल चन्दन व लाल पुष्प डालकर जल चढ़ायें।  


२. हर रविवार को गाय को गेहूँ तथा गुड़ खिलायें।  गेहूँ अथवा गुड़ को जमीन पर नहीं रखें , किसी बर्तन में रखकर स्नेहपूर्वक गाय को खिलायें। 


3 प्रतिदिन प्रातः सूर्यदेवता तांबे के लोटे में जल भरकर उसमे पाँच लाल सूखी मिर्च के दाने (बीज ) डालकर चढ़ायें। यह उपाय पदोन्नति तथा स्थानान्तरण से जुडी बाधाओं को शीघ्र दूर करता है. . 


४. नौकरी या पदोन्नति की इच्छा रखने वालों को हर रोज पक्षियों को मिश्रित अनाज खिलाना चाहिए। सात प्रकार के अन्न एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलायें। इसमें गेहूँ , ज्वार ,मक्का ,बाजरा ,चावल  तथा दालों को शामिल किया जा सकता है. .अनाज के साथ कटौरी में जल अवश्य रखें। .प्रतिदिन इस उपाय को करने से नौकरी से जुड़ी समस्यायें शीघ्र ही दूर ही जाती हैं।  यह उपाय ग्रहदोष तथा वास्तुदोष भी दूर करते हैं। 


५ गरीब व्यक्ति को दान में कम्बल दें। सफाई कर्मचारी एवं अंधे व्यक्ति की सहायता करें। 


६ शुक्लपक्ष के प्रथम मंगलवार को पीपल के ११ पत्तों पर ' श्रीराम ' लिखकर माला बनायें तथा लगातार २१ दिनों तक हनुमानजी को चढ़ायें।  ध्यान रहे कि शुक्रवार को पीपल का पेड़ नहीं छूना चाहिए।


७ शनिवार एवं रविवार को मांस -मदिरा का सेवन नहीं करें। 


८. अपने बॉस या ऐसा व्यक्ति जो आपके खिलाफ चलता हो , उसका नाम शहद की शीशी में डालकर ढक्कन ठीक से बंद कर उसे जमीन में गाड़ दें। 


९ शुक्रवार को बिना जाँचे -परखे एक बंद ताला घर पर ले आयें और अपने घर में उसकी पूजा करें।  शनिवार को स्नान -ध्यान करके वह ताला किसी मन्दिर में रख आएं।  जैसे ही कोई उस ताले  को खोलेगा , आपका भाग्य चमक उठेगा। 


                                 कुछ विशेष  ध्यान योग्य बातें                        

यद्यपि उपरोक्त उपाय सामान्यतया सभी के लिए उपयोगी हैं , किन्तु  व्यक्तिविशेष को ऐसे उपाय करने के अतिरिक्त किसी  अच्छे ज्योतिषी से अपनी कुण्डली पर  विचार अवश्य करा लेना चाहिए, क्योंकि कभी -कभी क्रूर ग्रहों की दृष्टि ,दशा -अंतर्दशा, गोचर ग्रहों  की प्रतिकूल स्थिति  के फलस्वरुप मनोवांछित परिणाम नहीं मिल पाते हैँ। इति शुभम। 
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Thursday, 13 October 2016

साप्ताहिक अन्तरदृष्टि # ३ 




 बगलामुखी साधना :


सभी ग्रह-अरिष्टों  की शांति , शत्रुनाश एवं विपत्तिनाशन हेतु बगलामुखी  मंत्र यंत्र की पूजा की जाती है। इस मंत्र एवं यंत्र का प्रचार प्रसार विस्तृत रूप से किया जा रहा है। परंतु इस मंत्र एवं यंत्र का जप-तप विधि के ज्ञान के बिना सिद्ध नहीं होता है। 

महाभाष्यकार ने लिखा है कि  - एकः शब्द: वर्णतो वा , मिथ्या  प्रयुक्तो न तमर्थमाह। 

स वाग्वज्रो यजमानं हिनस्ति यथेन्द्र शत्रु: स्वरातोपराधत ।

 अर्थात : एक भी अशुद्ध  शब्द चाहे स्वर हो या व्यंजन , व्यर्थ में प्रयोग किया गया या बिना अर्थ जाने कोई भी वाणी रुपी वज्र  , यजमान का वैसे ही अनिष्ट करता है जैसे इंद्र ने वृत्र-असुर को मारा था। इसलिये जप तप होम विधि जाने बिना बगलामुखी यंत्र की पूजा एवं मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।यदि  साधक  बगलामुखी माता की उपासना विधि पूर्वक करते है परन्तु  बगलामुखी कवच का पाठ   नहीं करते , ऐसे में साधक की मृत्यु शास्त्राघात से होने की सम्भावना रहती है। अपने स्वार्थवश  किसी  निर्दोष के लिए इस मंत्र का जप करने से साधक अपने ही अनिष्ट का न्योता देते है। ये जप तप का उल्टा असर साधक के ऊपर या उसके परिवार पर होता है। 


बगलामुखी माता की पूजा विधि मंत्र एवं कवच :


बगलामुखी माता की उपासना पीले रंग के वस्त्र पहनकर, पीले  फूल, पीला सिंदूर, पीला अक्षत एवं पीले फल प्रसाद  से करे। मंत्र का जप हल्दी की माला से किया जाना चाहिए। स्फटिक एवं रुद्राक्ष की माला से भी किया जा सकता है। मंत्रजाप की संख्या प्रतिदिन एकसमान ही रखनी चाहिए।  हल्दी की माला से जप करने से शत्रुनाश होता है , स्फटिक की माला से ऋण - मुक्ति होती है एवं रुद्राक्ष माला से शुभ कार्य होता है। 

 बगलामुखी मंत्र :

ॐ ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां  , वाचं मुखं स्तम्भय  जिह्वां कीलय कीलय , बुद्धिं  नाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।।


 बगलामुखी कवच :

ॐ ह्रीं मे हृदयं पातु श्रीबगलामुखि। ललाटे सततं पातु दुष्टनिग्रहकारिणी।।
रसनां पातु कौमारी भैरवीचक्षुषो मम  ।  कटौ पृष्ठे महेशानी कर्णों शंकरभामिनी।। 

वर्जितानि    स्थानानि  यानि  च कवचेन हि । तनी  सर्वाणि   मे देवी सततं पातु स्तम्भिनी।।

 अज्ञात्वा कवचं देवी यो भजेत बगलामुखीम  ।  शास्त्रघातमवाप्नोति सत्यं सत्यं न संशयः।। 


श्री कुल की दस महाविधाएँ है जिसमे बगलामुखी माता आठवें स्थान पर है। ये सभी महाविद्यायँ स्वयं सिद्ध हैं। ये देवियाँ कलियुग में साधको को समस्त वांछित फल प्रदान करती हैं। १. काली  २. तारा ३ षोडशी ४. भुवनेश्वरी ५. भैरवी ६ छिन्नमस्तिका ७. धूमावती८.बगलामुखी ९.मातङ्गी  १०.कमलात्मिका 
 माँ बगलामुखी माता  के  प्रसिद्ध मंदिर  मध्यप्रदेश के दतिया जिले में एवं नलखेड़ा में स्थित है। यहाँ विराजित माँ की मूर्ति महाभारत काल में पांडवों द्वारा स्थापित की गई थी।  विजय प्राप्ति ,शत्रुनाश ,ऋण से मुक्ति हेतु ,असाध्य रोग से मुक्ति हेतु ,कोर्ट केश में अनुकूल फैसला हेतु एवं सभी प्रकार के अरिष्टों से निवारण के लिये यहा विधिपूर्वक हवन करायी जाती है। astromeenakshi108@gmail.com8989083666meenakshi prabha----------=-----------------


Tuesday, 4 October 2016

                     साप्ताहिक अन्तरदृष्टि #२ #


विभिन्न मनोकामनाओं तथा उद्देश्यों की सम्पूर्ति हेतु लाभदायक सरल सुगम साधनाएँ  (TIPS) 

विभिन्न  मनोकामनाओं तथा उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु , जीवन में निरंतर उत्पन्न होनेवाले अवरोधों के शमन हेतु , अनेक अभीष्टों की संपूर्ति हेतु तथा मनोभिलषित को शीघ्रातिशीघ प्राप्त करने की कामना हेतु कुछ सामान्य , अतिसुगम एवं सरल   उपाय ;----------


१.  घर के मध्य में तुलसी का पौधा होने से घर में प्रेम के साथ सुख तथा समृद्धि की वृद्धि होती 
                  

२. दक्षिणवर्ती शंख , हत्थाजोड़ी ,एकाक्षी नारियल ,मोती शंख , गोमतीचक्र ,सियारसिंघी ,श्वेतार्क गणपति ,काली हल्दी अथवा सर्प और सर्पिनी की केंचुल , बिल्ली की जार तथा काम्या सिंदूर उपलब्ध हो तो उसे सुरक्षा पूर्वक धन रखने के स्थान पर रखना चाहिए। ये सभी वस्तुयें धन वृद्धि तथा आय की उन्नति हेतु शुभ मानी जाती हैं। 
                          


३. यदि आप पर कभी बड़ा संकट आता है तो आप अपनी आयु के वर्ष के बराबर संख्या में पक्षियों का मूल्य चुकाकर उन्हें स्वतंत्र कर दें।  आपका संकट कहाँ गया ,आपको पता भी नहीं चलेगा। 

४. किसी शुभ समय में यदि किसी पीले वस्त्र में सात - सात की संख्या में हल्दी की साबुत गाँठ ,जनेऊ ,लग्नमण्डप सुपारी , छोटी गुड़ की डल्ली  व इतने ही पीले फूल को धूप -दीप से पूजा कर अपने पूजास्थल अथवा धन रखने के स्थान में रखा जाये तो आर्थिक समस्या नहीं आती है। 

५. यदि आपके उच्चाधिकारी आपसे रुष्ट रहते हैं तो आप सदैव रक्तगुंजा की जड़ अपनी जेब में रखें। इसके प्रभाव से वे आपसे सम्मोहित रहेंगे। 

६.यदि आप कोई ऐसा कार्य करते हैं , जिसमें आपके विरोधी सक्रिय हों , तो आप  प्रथम मंगलवार को यह उपाय आरम्भ करें। इसमें ११ पत्ते पीपल के लेकर उनपर लालचन्दन से श्रीराम लिखकर प्रभु को अर्पित करें। आपके विरोधी कभी आपका अहित नहीं कर सकते हैं। यह उपाय आप धनवृद्धि तथा रोगमुक्ति के लिये भी कर सकते हैं.
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७. उन्नति के लिये आप प्रथम गुरूवार को ( यदि आप सरकारी नौकरी हैं तो बैठने के स्थान पर  और यदि आप व्यवसाय करते हैं तो व्यवसाय स्थल पर ) कच्चे सूत को केसर से रंग कर बाँध दें।  फिर चमत्कार देखिये। 

८.घर के अन्दर १२ अँगुल की पलाश की लकड़ी को यदि अभिमंत्रित कर घर में गाड़ दिया जाये ,तो घर में किसी प्रकार की अशुभ शक्ति का प्रवेश नहीं होता है।
९.पीपल के एक पत्ता पर २१ बार गायत्री मंत्र चन्दन से लिखकर पूजास्थल में रखकर पूजा करें फिर अपने धन रखने के स्थान पर रखने से व्यापार एवं नौकरी में बढ़ोतरी होगी। 

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Tuesday, 27 September 2016

 साप्ताहिक अंतर्दृष्टि #1 





तीक्ष्ण स्मरण शक्ति , निर्विघ्न शिक्षाप्राप्ति एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्ति के उपाय।

 कभी-कभी ऐसा होता है कठिन परिश्रम एवं लगन के साथ अध्ययन करने के बावजूद वैसा परिणाम नहीं निकलता जिसकी अपेक्षा व्यक्ति को होती है। व्यक्ति अत्यंत तुच्छ कारणों से पीछे रह जाते है , या उनकेमार्ग  में सदा  ही विघ्न-बाधाएं आती रहती हैं या उन्हें  वैसे विषय की शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है, जिसकी उन्हें इच्छा न हो।

अगर ऐसा ही कुछ आपके साथ हो रहा हो तो आप सचेत हो जाएं , क्योंकि इन परिस्थितियों  का कारण आपकी कुंडली में होने वाले अशुभ योग, दोष, क्रूर या दुष्ट ग्रहों की दशा-अंतर्दशा, गोचर के क्रूर ग्रहों के प्रभाव हो सकते है। लगन कुंडली के पंचम भाव में स्थित क्रूर ग्रह जैसे मंगल, शनि एवं राहु केतु की भाव में स्थिति या दृष्टि ! काल सर्प योग ,विष योग ,ग्रहण योग इत्यादि योग प्रारब्ध यानि पूर्वजन्म में किये हुए कर्मों  के कारण  होते है! 
वैदिक मंत्रो द्वारा निर्विघ्न शिक्षा प्राप्ति एवं प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के उपाय -
वैदिक मन्त्रों का हमारे जीवन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ता है। सुधीजनों के निमित्त यहाँ  कुछ मन्त्रों का प्राकट्य विषयानुकूल होगा।  कुछ वैदिक मंत्र निम्न हैं-

 १. ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा !
जिन व्यक्तियों की स्मरण शक्ति क्षीण है, उनको इस मंत्र का ८ लाख जाप करने से स्मरण -शक्ति प्रखर हो जाएगी

२। परीक्षा में उतीर्ण होने हेतु ----
-ॐ नमः श्रीं श्रीं अहम् वाग्वादिनी भगवती सरस्वत्यै नमः स्वाहा विद्याम देहि मम ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा !
अमावस्या के तीसरे दिन  अथवा चंद्रग्रहण के समय इस मंत्र का जप एक लाख बार करें !उसके पश्चात्  किसी प्रतियोगिता परीक्षा में सम्मिलित हो, तो सफलता  अवश्य मिलेगी !

.इत्युक्ता सा तदा देवी गम्भीरान्तः स्मिता जगौ !
दुर्गा भगवती भद्रा ययेदं धार्यते जगत !!
इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जप कर  माता सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। शिक्षा में सफलता मिलेगी !



४. तीक्ष्ण बुद्धी एवं बिना बाधा के शिक्षा प्राप्ति एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हेतू  गणपति जी की विधिपूर्वक पूजा कर गणपति अथर्वशीर्षम का नियमित पाठ करें। 

 ५, ज्ञानानन्दमयं देवं निर्मलस्फटिकाकृतिम। 
आधारं सर्व विद्यानाम हयग्रीवं उपास्महे।।

ॐ श्री हयग्रीवाय नमः 

इस मंत्र का जाप १०८ बार नियमित रूप से करने से प्रतियोगिता में सफलता निश्चित है। 


यद्यपि इन उपायों से आपको सफलता अवश्य मिलेगी परन्तु अगर आप अपने कुंडली दोषों से निवारण पाना चाहते हैं , किसी कुशल ज्योतिषी से अपनी कुंडली अवश्य निरीक्षण करवायें। 
- मीनाक्षी प्रभा
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